लगातार यात्राओं में रहने वाले हास्यकवियों को जब एक ही शहर में कई
प्रोग्राम करने का संयोग प्राप्त होता है तो इसके कई सुखद परिणाम निकलते
हैं . एक तो यह कि कवि को पूरी नींद मिल जाती है जो आमतौर पर नहीं मिला
करती, दूसरे उस शहर में घूमने - फिरने का अवसर मिल जाता है, तीसरे
लिखने-पढने को समय मिल जाता है, चौथे उनके घर वालों ( अथवा उनकी
घर वाली ) को भी निश्चिन्तता हो जाती है कि अपना बन्दा फलां जगह है
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण लाभ ये होता है कवियों को कि कई दिन तक साथ
रहने से परस्पर इक-दूजे को जानने और समझने का भरपूर मौका मिल
जाता है . वरना तो कवियों की आपस में hay -hello से ज़्यादा बात आपस में
कहाँ हो पाती है क्योंकि सभी को कवि-सम्मेलन के पहले तो अपने आराम
की और बाद में अपनी अपनी वापसी यात्रा की फिक्र होती है .
अहमदाबाद के अनुभूति कल्चरल ग्रुप द्वारा आयोजित और रचनाकार
के लिए अलबेला खत्री द्वारा संयोजित चार दिवसीय कवि-सम्मेलनों में
दिल्ली के हास्यकवि अरुण जैमिनी, महेन्द्र अजनबी, भोपाल के ओजस्वी
कवि मदन मोहन समर, उदयपुर के अजात शत्रु और सूरत के अलबेला खत्री
ने जब राइफल क्लब में अपनी प्रस्तुतियां दीं तो दर्शकों ने तो आनंद लिया
ही, कवियों ने भी खूब एन्जॉय किया .
अरुण जैमिनी और महेन्द्र अजनबी ने तो यहाँ तक कह दिया कि यार !
ऐसा तो कलकत्ता में भी नहीं होता . उन्होंने ऐसा इसलिए कहा कि कवियों
के रहने का इन्तज़ाम भी वहीँ था और मंच भी वहीँ था . जब लगने लगे
कि दर्शक आगये हैं और कवि-सम्मेलन शुरू करना चाहिए तो निकल
जाओ कमरे से बाहर और पहुँच जाओ एक ही मिनट में मंच पर. उसके
पहले चाहे जितना स्वीमिंग पूल में स्वीमिंग करते रहो, गार्डन में घूमते
रहो, टेनिस खेलते रहो या जो कवि वहां मौजूद नहीं हैं उनकी निन्दा का
मज़ा लेते रहो.
असली बात ये है कि रचनाकार प्रस्तुत इन चारों कवि-सम्मेलनों में सभी
कवियों को खूब और बहुत खूब सराहा गया तथा अनुभूति के 20,000 से
भी ज़्यादा सदस्यों ने रोज़ाना चार-चार घंटे तक कविता का आनन्द लिया .
कुल मिला कर ये कह सकते हैं कि हिन्दी कवियों ने गुजरात में धूम मचा
दी .
चूँकि सभी आमंत्रित कवियों ने मुझे पूर्ण सहयोग दिया और कार्यक्रमों को
अद्वितीय सफलता प्रदान की इसलिए मैं सबका आभारी हूँ और साथ ही
अनुभूति कल्चरल ग्रुप के संचालक राजूभाई शाह तथा चेतन गाँधी का
भी मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि पिछले 18 वर्षों से लगातार वे मुझे इस काम की
ज़िम्मेदारी सौंपे हुए हैं . अनुभूति का यह रजत जयन्ती वर्ष था अर्थात 25
वर्ष साहित्य और संस्कृति की सेवा में ...........बधाई राजू भाई !
-अलबेला खत्री
2 comments:
सफल कार्यक्रम के लिए बहुत बधाई...
आपने तो कार्यक्रम के दौरान सभी रंगो का मजा ले लिया | निंदा भी वाह वाह वाह ....|
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